सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

आजाद हिंद फौज के वीर बाँकुरे थे देवरिया के आजाद बाबू

आइए आज आपलोगों को माँ भारती के एक सच्चे सपूत देवरिया वासी आजाद बाबू से मिलवाता हूँ। 
आजाद बाबू जी हाँ इसी नाम से तो वे अपनो के बीच जाने जाते थे। माँ भारती के इस सच्चे वीर को उनके जाननेवाले आजाद बाबू ही कहा करते थे। आजाद बाबू का असली नाम श्री (स्व.) रामअधार राव था और इनका जन्म देवरिया के गौरीबाजर विकासखंड के बखरा में 1910 में हुआ था।
गोरखपुर में अपनी प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही इस महान बालक के लहू में सच्चे राष्ट्रभक्त के तत्त्व मिल गए थे और कक्षा 6 में पढ़ने के समय नेताजी (सुभाष बाबू) के विचारों ने इनके लहू में घुले देशभक्त के तत्त्व को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया और साथ ही साथ इनके कानों में माँ भारती की पुकार झंकृत होने लगी।
आजाद बाबू 1937 में नेताजी के साथ सिंगापुर में भी रहे ताकि आजाद हिंद फौज की सक्रियता को और अधिक बढ़ाते हुए इसे मजबूत किया जा सके। इसके बाद तो इनकी वीरता और माँ भारती के प्रति सच्ची निष्ठा को देखते हुए 1938 में इन्हें आजाद हिंद फौज में हवलदार के रूप में भर्ती कर लिया गया। माँ भारती के लिए यह सच्चा राष्ट्र पुजारी लड़ाई का बिगुल भी बजाया और जिसके लिए इसे जेल की सैर भी करनी पड़ी।
पर आजादी के बाद के जो सपने इस क्रांतिकारी की आँखों ने देखे थे वे पूरे होते नजर नहीं आए। आजीवन आजाद बाबू वास्तविक भारत निर्माण, एक महान भारत के सपनों को साकार होता न देख बहुत ही विचलित रहे पर अपने आप को आजाद हिंद फौज के एक सेवक के रूप में याद कर के गौरावांतित होते रहे।
जब भी लोग इनसे मिलने जाते थे, ये प्रसन्नता के साथ अपनी यादों को सुनाते-सुनाते भाव-विभोर हो जाते थे। इनके साथ ही साथ सुननेवालों की आँखें भी अश्रुपूरित हो जाती थीं। इनके संस्मरणों को सुन-सुनकर क्या युवा, बच्चे एवं बुजुर्ग भी माँ भारती की जय एवं राष्ट्रभक्तों की जय बोलने से अपने आप को नहीं रोक पाते थे। राजनीति की बात आते ही आजाद बाबू उदास हो जाते थे और एक लंबी साँस लेकर जो कहते थे उसका सार यही है कि आजादी मिलने के बाद राजनेताओं ने धीरे-धीरे एक महान भारत के निर्माण की यज्ञ को जलाए रखने के बजाय उसमें स्वार्थ, गंदी राजनीति का प्रदूषित जल डालकर बुझा दिया। मूल्यों एवं राष्ट्रहित की राजनीति को तिलांजलि दे दी गई एवं चारों तरफ राष्ट्रवाद को गौण करके स्वार्थवश अनेकों गंभीर, राष्ट्रद्रोही समस्याओं का सूत्रपात कर दिया गया।
माँ भारती का यह वीर सपूत जबतक जीवित रहा शान से 15 अगस्त एवं छब्बीस जनवरी को ध्वजारोहण करता रहा इस आस में कि एक दिन इसके सपने साकार होंगे एवं एक स्वच्छ व सुंदर, महान भारत का निर्माण होगा।
15 अगस्त 2010 को यह देवरियाई शतजीवी महान राष्ट्रभक्त सदा के लिए हम सबसे दूर हो गया एवं अपनी वीरता, कर्तव्यनिष्ठा से देशवासियों को देश के प्रति कुछ कर गुजरने की शिक्षा दे गया।
बोलिए इस महान व्यक्तित्व की जय। भारत माता की जय।।


- प्रभाकर पाण्डेय

1 टिप्पणी:

गुड्डो दादी ने कहा…

परब करा असिबाद
"आजाद हिंद फौज के वीर बाँकुरे थे देवरिया के आजाद बाबू"
अपनी वीरता, कर्तव्यनिष्ठा से देशवासियों को देश के प्रति कुछ कर गुजरने की शिक्षा दे गया।
सुंदर जानकारी आज भी नेता जी को याद कर अश्रु आते है
ऐसे ही सुंदर जानकारी से अवगत करवाते रहे आज की पीडी को अतीत का इतिहास पता चलता रहे
धन्यवाद