शनिवार, 6 जनवरी 2007

देवरिया : संगीत के दिग्गज महारथी


आइए, आपलोगों का परिचय देवरिया जनपद के मझौली राज निवासी, एक ऐसे मिश्रा परिवार से कराता हूँ, जिसका प्रत्येक सदस्य अपने समय में एक प्रख्यात संगीतज्ञ रह चुका है ।
श्री पुदन मिश्र - श्री पुदन मिश्र अपने समय के एक सुप्रसिद्ध सारंगी वादक एवं मनीषी थे । इनकी गणना सर्वश्रेष्ठ सारंगी-वादकों एवं मनीषियों में थी । माँ सरस्वती का यह अमर पुत्र युवावस्था में ही काल के गाल में समा गया ।
श्री तमाखू मिश्र - श्री तमाखू मिश्र श्री पुदन मिश्र के छोटे भाई थे और अपने अग्रज श्री पुदन मिश्र की असामयिक मृत्यु से शोकाग्रस्त परिवार को उबारने के लिए तत्परता से संगीत साधना में जुट गए । श्री तमाखू मिश्र की कठिन तपस्या फलीभूत हुई और सोहना रागिनी को सिद्ध करके संगीत-जगत में ये सूर्य की भाँति चमकने लगे ।
श्री मथुरा मिश्र - श्री मथुराजी मिश्र श्री पुदनजी मिश्र एवं श्री तमाखूजी मिश्र के पोते थे । श्री मथुराजी मिश्र एक धार्मिक प्रवृत्ति के विद्वान थे । मथुराजी मिश्र ठुमरी, धमार, ध्रुपद, खयाल, टप्पा आदि में पूर्णरुपेण निपुण थे तथा संगीत जगत में इनका एक विशेष स्थान था । इनकी विद्वता से प्रभावित होकर मझौलीराज के महाराज ने इन्हें अपना दरबारी गायक नियुक्त किया था ।
श्री मथुरा मिश्र के पुत्र श्री मनमोहन मिश्र एक कुशल गायक होने के साथ ही साथ एक सिद्धहस्त सारंगीवादक भी थे ।
श्री मनमोहन मिश्र के पुत्र श्री रामप्रसाद मिश्र संगीत के सुप्रसिद्ध विद्वान हुए और इनके समय में ठप्पा, ठुमरी गायन में इनका कोई शानी नहीं था । श्री रामप्रसाद मिश्र एक कुशल सारंगीवादक भी थे ।
इसी घराने में जन्मे श्री गोकुल मिश्र ने अपनी कठोर साधना से तबलावादन क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बनाया। श्री गोकुल मिश्रजी प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक सूर्य की दिशा में खड़े होकर कमर में तबले को जोड़ी बाँध कर कठिन साधना करते थे ।
श्री गोकुल मिश्र अपने समय में काशी के प्रसिद्ध तबला-वादकों में से एक थे ।
माँ सरस्वती के इन अमर पुत्रों ने संगीत-जगत में एक मर्यादित एवं विशेष स्थान बनाने के साथ ही साथ देवरिया जनपद को भी गौरवान्वित किया और इस क्षेत्र की संगीत प्रियता एवं विद्वता से पूरे देश से परिचित कराया ।
माँ सरस्वती के इन मनीषी पुत्रों को कोटि-कोटि प्रणाम ।
-प्रभाकर पाण्डेय

4 टिप्‍पणियां:

विशाल सिंह ने कहा…

देवरिया जनपद के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं एवं योगदानों को प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद। क्षेत्रीय परंपराओं, समृद्ध विरासत और इतिहास को संचित करने और सुलभ बनाने के लिये आप जैसे सजग और प्रतिबद्ध जनों की आवश्यकता है।

विशाल सिंह ने कहा…

देवरिया जनपद के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं एवं योगदानों को प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद। क्षेत्रीय परंपराओं, समृद्ध विरासत और इतिहास को संचित करने और सुलभ बनाने के लिये आप जैसे सजग और प्रतिबद्ध जनों की आवश्यकता है।

Devi Nangrani ने कहा…

Bahut hi acha laga, is pathshaala ka karya ka vistaar dekh kar

bahut sari shubhkamnaon ke saath

Devi

HBMedia ने कहा…

अच्छी सूचना