मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

राष्ट्र एवं शिक्षा के पुजारी: महान समाजसेवी रामजी सहाय

राष्ट्र-प्रेम की पावन धारा से सिंचित देवरिया भूमि सदा से ही वीरों की जननी रही है। यहाँ के वीर जवानों ने, माँ भारती के सच्चे भक्तों ने देश-प्रेम की अलख को सदा अपने हृदय में जगाए रखा एवं अपने जान की परवाह न करते हुए अपने राष्ट्र एवं संस्कृति की रक्षा की।
देवरिया की पावन भूमि में सदा ही राष्ट्र-प्रेम का पौध पल्लवित एवं पुष्पित होता रहा है। यहाँ कुछ ऐसे सपूत भी पैदा हुए जो राष्ट्र-प्रेम के साथ ही साथ समाज, संस्कृति, शिक्षा के भी महान प्रेमी थे। उन्हें पता था कि अगर राष्ट्र, समाज का विकास करना है तो पहले शिक्षा को मजबूत करना होगा। क्योंकि एक शिक्षित समाज ही राष्ट्र के विकास को, संस्कृति के विकास को एक नई ऊँचाई दे सकता है।
ऐसे ही एक राष्ट्र-भक्त थे महान समाज सेवी रामजी सहाय। रामजी सहाय का जन्म देवरिया के रूद्रपुर विकास-खंड में हुआ था। ये गाँधीजी के बहुत प्रिय एवं विश्वासी थे। इस सेनानी को 1932 में जेल की हवा खानी पड़ी पर अब तो यह निडर एवं निर्भीक राष्ट्रभक्त माँ भारती के बेड़ियों को काटने के लिए सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना शुरु कर दिया था। अब इसे कैद की परवाह नहीं थी। गाँधीजी ने 3 जून 1935 को इनके नाम एक पत्र लिखा जिसके माध्यम से गाँधीजी ने इन्हें अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ गोरखपुर मंडल में आवाज उठाने के लिए आह्वान किया था। यह महान गाँधीवादी यह अपना सौभाग्य समझा एवं गाँधीजी के निर्देश में कार्य करने लगा। 1942 में भौवापार में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान इन पर बरसी अंग्रेजी सिपाहियों की लाठियों ने इनके साहस को तोड़ने के बजाय इनमें राष्ट्रप्रेम की धारा को और तेजी के साथ प्रवाहित कर दिया।
माँ भारती का यह सपूत 7 बार जेल की सैर किया पर अपने मजबूत इरादों एवं माँ भारती के प्रति सच्ची निष्ठा को कम नहीं होने दिया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1952 के आम चुनाव में यह जनप्रिय नेता एवं राष्ट्रपुजारी रूद्रपुर से पहला विधायक बना। माँ भारती तो अब स्वतंत्र थीं पर अब जो आवश्यक काम था वह यह कि शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो। भारतीय जनमानस का कल्याण हो। इस महान समाजसेवी ने शिक्षा का अलख जगाते हुए रूद्रपुर में एक इंटर कालेज एवं एक डिग्री कालेज की स्थापना कर डाली। यह महान दानी लोगों में उस समय और भी प्रिय हो गया जब इसने डिग्री कालेज की स्थापना के समय पैसे की कमी के चलते अपनी पत्नी श्रीमती सुमित्रा देवी के आभूषण एवं अपनी रिवाल्वर तक बेंच दी। इंटर कालेज एवं डिग्री कालेज के खुलने से इस क्षेत्र के साथ ही साथ अन्य क्षेत्र के बच्चों को भी उच्च शिक्षा मिलनी शुरु हो गई।
धन्य है यह माँ भारती का सच्चा सपूत जो संतानहीन होने पर भी शिक्षा के महत्त्व को समझता था और हर बालक, किशोर को शिक्षित करना चाहता था। हर व्यक्ति इनके लिए अपना ही था। इसी लिए तो क्षेत्र की जनता इनसे अपार स्नेह एवं श्रद्धा रखती थी।
माँ भारती का यह सच्चा भक्त एवं गाँधीवादी 27 जुलाई 1975 को सदा के लिए माँ की गोद में सो गया एवं माँ की आँखों के साथ ही साथ इस क्षेत्र के जन-मानस की आँखों को अश्रुपूरित कर गया। आज यह महान समाजसेवी हमारे बीच नहीं है पर इसके कार्य सदा-सदा के लिए इसे अमर कर गए एवं भारतीयों विशेषकर देवरियाइयों के हृदय में इसके प्रति श्रद्धा एवं सम्मान भर गए।
प्रेम से बोलिए महान राष्ट्रपुजारी एवं समाजसेवी रामजी सहाय की जय।
भारत माता की जय।।
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-प्रभाकर गोपालपुरिया

1 टिप्पणी:

आशुतोष की कलम ने कहा…

मित्रों अगर आप हिंदी लेखन से जुड़े हैं और पूरब से सम्बन्ध रखते हैं तो आप का पूर्वांचल ब्लॉग लेखक मंच
गर्व से कहें की हम हिन्दीभाषी हैं हिंदी में पढ़ते लिखते व बात करते हैं.....