बुधवार, 29 नवंबर 2006

देवरिया जनपद : एक विहंगमावलोकन

देवरिया जनपद :- ऐतिहासिक दृष्टि से देवरिया कौशल राज्य का भाग था । जनपद के विभिन्न भागों में बहुत सारे पुरातात्विक अवशेष मिले हैं जैसे :- मंदिर, मूर्तियाँ, सिक्के, बौद्धस्तूप, मठ आदि । बहुत सारी कथाएँ भी इसकी प्राचीन गतिशील जीवनता को सत्यापित करती हैं । कुशीनगर जनपद जो कुछ साल पहले तक देवरिया जनपद का ही भाग था का पौराणिक नाम कुशावती था और भगवान राम के पुत्र कुश यहाँ राज्य करते थे और भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली भी यही है । देवरिया का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है । देवरिया जनपद के रुद्रपुर में प्रसिद्ध प्राचीन शिवलिंग है जो बाबा दुग्धेश्वर के नाम से ग्रंथों में वर्णित है और इस क्षेत्र की जनता जनार्दन इनको बाबा दुधनाथ के नाम से पुकारती है । इतिहास की माने तो रुद्रपुर में रुद्रसेन नामक राजा का किला था और इसी कारण यह रुद्रपुर कहलाया पर मेरे विचार से भगवान रुद्र (शिव) की पुरी (नगरी) होने के कारण इसका नाम रुद्रपुर पड़ा होगा । सरयू नदी के तट पर बसे बरहज की धार्मिक महत्ता है । दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं ।
स्वतंत्रता संग्राम में भी देवरिया पीछे नही रहा और अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल फूँक दिया । शहीद रामचंद्र इण्टरमिडिएट कालेज बसंतपुर धूसी (तरकुलवा) के कक्षा आठ का एक छात्र बालक रामचंद्र ने देवरिया में भारतीय तिरंगे को लहराकर शहीद रामचंद्र हो गया और सदा के लिए अमर हो गया ।
देवरिया ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा, बाबा राघव दास, आचार्य नरेंद्र देव जैसे महापुरुषों की कर्मभूमि रहा है । गोरखपुर जनपद का यह तहसील १९४६ में पृथक होकर एक जनपद के रूप में अवतरित हुआ और तब से विकास के पथ पर अग्रसर है ।
देवरिया जनपद लगभग २५२७.२ किलोमीटर में फैला है और कृषि प्रधान क्षेत्र है। घाघरा, राप्ती और गंडक नदियों ने इसकी उपजाऊ क्षमता को बढ़ाया है । इस जनपद की मिट्टी सोना उगलती है ।फसलों में मुख्य रूप से धान, गेहूँ, गन्ना, मक्का, आलू, द्विदलीय अन्न (अरहर, मटर, चना, मूँग इत्यादि), तिलहन (सरसों, राई, तीसी, सूर्यमुखी इत्यादि), खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा, हर प्रकार की मौसमी सब्जियाँ (भिंडी, टमाटर, मूली, प्याज, नेनुआ, करैला, तिरोई, कोहड़ा, लौकी, भंटा इत्यादि), सागों में कई प्रकार के साग विशेषकर जैसे पालक,चौंराई (चौराई), सनई, भथुआ इत्यादि । खेतों में ग्रामीण महिलाओं एवं किशोरियों को भथुआ को खोंटते (तोड़ते) हुए देखा जा सकता है । भथुआ को खोंट-खोंटकर ये लोग अपने फाड़ (साड़ी के किनारे या दुपट्टे को कमर में लपेटकर बनाई हुई थैली) में रखती जाती हैं ।
देवरिया जनपद देवरिया सदर, भाटपार रानी, रुद्रपुर,सलेमपुर और बरहज इन तहसीलों में विभाजित है । विकास खंडों की संख्या १६ है:- देवरिया, भटनी, सलेमपुर, भाटपार रानी, बैतालपुर, रुद्रपुर,
लार, गौरीबाजार, बनकटा, भागलपुर, देसही देवरिया, भलुवनी, बरहज, रामपुर कारखाना, पथरदेवा और तरकुलवा (हाल में ही तरकुलवा विकास खंड बना है) ।
शिक्षा के मामले में भी देवरिया बहुत आगे है, लगभग १०-१२ डिग्री कालेजों के साथ-साथ कई तकनीकी विद्यालय हैं । दर्शनीय स्थानों में गायत्री मंदिर, हनुमान मंदिर, सोमनाथ मंदिर, देवरही मंदिर (देवरिया शहर में) , मझौली राज का किला (सलेमपुर), मईल, बैकुंठपुर, रुद्रपुर आदि । भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, देवरिया शहर से ३४ कि.मी. पर स्थित है ।


-प्रभाकर पाण्डेय

2 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढ़िया है। आगे भी देवरिया के बारे में जानकारी देते रहें।

Unknown ने कहा…

बहुत बढिया प्रयास बा राउर, देवरिया के विश्व-मानचित्र पर ले आये खातिर. हम भोजपुरिया डॉट कॉम चलावेनी, कबो वक्त निकाल के देख लीं, आ हो सके त सुझाव/ शिकायत बताईं.

सुधीर कुमार
Bhojpuria.com